From Face Book

  • तंत्र विषय पर खुली चर्चा की आवश्यकता को ध्यान में रख कर tantraparichaya.blogspot.com पुनः व्यवस्थित किया जा रहा है। डरावनी, गंभीर, विवादास्पद एवं वयस्क सामग्री भी हो सकती है। अतः इसे विधिवत वयस्क घोषित किया गया है। अतः सदस्यता लें, पहचान प्रगट करें और खुल कर चर्चा करें। यह विरक्त या साधु के लिये नहीं है। धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष सभी स्वीकृत हैं। इनमें संतुलन एवं परस्पर पूरकता बनाना ही असली रहस्य विद्या है।
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    • B.n. Mishra बहुत अच्छी बात है विषय पर चर्चा का खुला मंच
    • Ravi Shankar Achchi bat hai gambhir academic discussion ke liye jaruri ewam uchit bhi hai.
    • Ravindrakumar Pathak Of course not academic, only practical with scriptural references. No manoranjan, questions, comments and compliments related with practice in real life only.
    • B.n. Mishra अभी तक जो मै लिख रहा हूँ क्या राय है आपकी
    • Uday Mishra व्यवस्था उपलब्ध करवाना आपकी गंभीरता का सूचक है। बधाई।
    • Ravindrakumar Pathak आप स्वयं कहते हैं कि मेरे गुरुजी ने खुल कर बताने से मना किया है। इस प्रकार यह स्वतः स्पष्ट है कि कोई साधना किस रूप में जीवन से, अनुभव से जुड़ जाती है, यह बात आप खुल कर नहीं बताते हैं। आपके वर्णन में श्रद्धा एवं विश्वास की प्रधानता होती है। शास्त्र ज्ञा...See More
    • B.n. Mishra ji maine wahi kerna suru kiya roj 1000 लोग avrage पढ़ रहे हैं
    • B.n. Mishra esme aapki kya ray hai
    • Ravindrakumar Pathak vaha bhee theek hai, aap jigyaasaa paidaa karen, shraddhaalu banaayen, kisee kee koi samasyaa hogee yaa koi gambheer jigyaasaa hogee to fir khule manch par aa jaayen yaa apanee guru paramparaa men raha kar seekhen. Main to kewal paakhanda se hatane ko kahataa hoon, paramparaa bhed to rahenge hee . Ye bhed bhee 2yaa 3 star par jaa kar mitate hee hain.
    • Ravindrakumar Pathak मैं ध्यान योग के लंबे अभ्यास के बाद भारतीय संस्कृति की विविधता को समझने के लिये गुरुजी से आज्ञा/अनुमति ले कर तंत्र समझने में लगा। एक बार उन्होने पूछा - आजकल क्या पढ़-समझ रहे हो? मैं ने बड़ी गंभीरता और आत्म विश्वास के साथ कहा ‘‘विज्ञान भैरव तंत्र’’। उन्...See More
    • B.n. Mishra aapne sahi kaha adhyatm anubhuti hai use sarvjanik kerke uphas ka karan hi bnna pdta hai. fir aakrist kerne ke liye logon ne chamtkaar ka sahara liya.osho ne vyosay banaya siddhi to mili ant theek nahi hua jaise adhiktar samaj sastriyon ke apne ghar theek nahi.tantra ka hashr bhi wahi hai use kaise sudharen.
    • B.n. Mishra bilkul theek kahna hai aapka tantra prayog aur aviskaar hai uska fayda kaun kitna uthata hai nischit nahi.
    • Ravindrakumar Pathak मेरी समझ में अनुशासनहीनता सायंस और तंत्र में क्षम्य नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि सायंस न पढ़ा जाय, न सीखा जाय। कल मुझे अपने दांत की आर.सी.टी. कराने में बहुत समस्या हुई। सुन्न करने की दवा काम नहीं कर रही थी। एक बार इसी तरह टूटे हाथ के प्लास्टर के समय स...See More
    • B.n. Mishra hahaha bahut si bat hai aughad bhagwan ram apna liver kharab kr shrab pe pratibandh lagaye
    • Ravindrakumar Pathak अब जीवन की ढलान पर अभ्यास कर रहा हूं कि ऐ भाई नशा जी, जल्दी चढि़ये नहीं तो दांत हो या हाथ, आपरेशन के समय डाक्टर क्या करेगा? हास्य यह कि रावण की तरह खैनी से डर ही नहीं था तो उसका तुरत प्रभाव पड़ता है। फिर भी बेहोशी नहीं होती, उलटी होने लगती है। यही तो स...See More
    • Ravindrakumar Pathak Meree jindagee khuli kitaab hai, main ek manushya hoon aur apanee galatiyon ko chhupaane kee jagah kahane kee himmat rakhataa hoon, aapako hansane kaa hak hai, kam se kam hanse to sahee.
    • Ravindrakumar Pathak badee kripaa charchaa to chalee , dekhoon koi aur sammilit hote hain yaa abhi golomatol baaten hee chalengee. adhiktar logon ko vaisee baaten pasand aatee hain jo vastutah samajh men hee naheen aayen kyonki usase koi bandhan naheen padataa. Isaliya aapakee lekhon ke paathak kee tulanaa men mere vichaaron ko pasand karane waale 0-2 % bhee hon to main useese santushta hoon.
    • B.n. Mishra nahi aapke lekh me bahut jan hai
    • B.n. Mishra rochakta km ho gyan hai magr use pachaane aana chahiye
    • Ravindrakumar Pathak aapa sabokan vaatsalya rahe to himmat banee rahegee.
    • B.n. Mishra ab sab ko dundh ke lana aur unhe charcha ke liye taiyar kerna bhi samsya hai kyonki wo sunne ko taiyar nahi
    • Ravindrakumar Pathak jaroorat bhee naheen hai, jisase jaroorat ho asalee vidyaa use hee mile yahee to sivechhaa hai, isake liye bhee kyaa chintaa?
    • B.n. Mishra wo video clip aapne dekhi
    • B.n. Mishra pata nahi wo vidio clip vindhyachl wali aapne dekhi ya nahi bali dekh ke
    • B.n. Mishra man kai bar bhar jata hai kintu namitik bali ke kai udahran hai jo hote hi kam pure ho jate hai uske pichhe ka rahasy vigyan kabhi swikaar nahi karega
    • Kamlesh Punyark Guruji तंत्र विषय पर खुली चर्चा की आवश्यकता को ध्यान में रख कर tantraparichaya.blogspot.com पुनः व्यवस्थित किया जा रहा है।----सूचना के लिए धन्यवाद।
    • Ravindrakumar Pathak प्रतीक्षा है
      तंत्र परिचय ब्लाग पर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार वर्गों में विभक्त जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की मूल विधियों/आरंभिक विधियों पर सामग्री डाली जाय और चर्चा शुरू हो इससे पहले यह जानना जरूरी है कि सच में कितने लोगों को इसमें रुचि है।
      जिन्हें रुचि नहीं होगी वे विघ्नकारी होंगे, केवल मजाक उड़ायेंगे। तमाशा दिखाने के लिये यह प्रयास नहीं है। जो आजमाना चाहें, प्रयोग करने के बाद आलोचना करना चाहें, सलाह देना चाहें उनका स्वागत है। 
      ब्लाग के पेज पलटने वाले आंक़डों की बढ़ोत्तरी और लाइक की संख्या मिल कर 25 से अधिक है। बड़ी खुशी, इनमें आप 5 भी खुले तौर पर सदस्य या टिप्पणीकर्ता के रूप में प्रगट हो कर बताने की कृपा करें कि चर्चा किन विधियों की शुरू करें? प्राथमिकता किसे दी जाय? धर्म, अर्थ, काम या मोक्ष। जैसी आपकी चाहत? ब्लाग लेखक प्रतीक्षा करेगा। मुझे न जल्दी है, झूठी लाज शर्म। मैं मनुष्य आप मनुष्य, इच्छा तो चारों की हो ही सकती है, हो सकता है चौथे मोक्ष की न हो? उसका मजा चख लेंगे तो उसकी भी चाहत हो जायेगी।
    • Ravindrakumar Pathak बड़ा अच्छा लगा, प्रणाम, आदरणीय बी.एन.मिश्र. जी ने 3 टिप्पणियों से चर्चा का विषय कामना को बनाया, अपने विचार रखे। स्वागत, मैं एक दो और लोगों की प्रतीक्षा कर रहा हूं।
      21 hours ago · Like · 1
    • Shakdwipiya Mahakumbh इनमें संतुलन एवं परस्पर पूरकता बनाना ही असली रहस्य विद्या है।
      21 hours ago · Like · 1
    • Anil Pathak बहुत ही सराहनीय कार्य ...इससे हम जैसे नवागंतुको को काफी कुछ सीखने को मिलेगा ।
      21 hours ago via mobile · Like · 2
    • B.n. Mishra तंत्र की गोपनीयता को बरकरार रखते हुए विषय वास्तु में रोचकता आकर्षण उपयोगिता ही तंत्र है लाभ इसका साधक को ही मिलता है बाधा कदम कदम पर ह तैयार रहें अगली यात्रा के लिए।ै
      20 hours ago via mobile · Like · 2
    • Ravindrakumar Pathak सावधानी सं. 1
      तंत्र पर खुली चर्चा तो होगी ही। बस चर्चा में खुल कर भाग लेने वालों की जरूरत है। लंबी प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी लेकिन आप न शामिल हों अगर मूड यह है कि- मैं तो बस मनोरंजनार्थ या मजाक उड़ाने के मूड में था। ये सब ठीक नहीं है। अतः मतांतर तथा
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    • Anil Pathak tantraparichay.blogspot.com खोलने से लिखता है blog not exist ऐसा क्यों ..??
    • Ravindrakumar Pathak address theeka se fir type karen tantraparichaya.blogspot.com last men 'a' chootaa hai
      13 hours ago · Like · 2
    • B.n. Mishra परन्तु मैंने ऐसा अनुभव किया नशा बंदी अपने आप हो जाय बलात्कार हो ही नहीं जाती पांति का भी भेद भाव नहीं ऐसा है तंत्र न मूर्ति पूजा न समय का बंधन मगर न साधक हैं न गुरु और स्थिति हास्यास्पद तो बननी ही है इसीलिए अगर घर द्वार राज्य से
    • Ravindrakumar Pathak अब तक इस विषय पर लाइक से आगे बढ़ कर रुचि लेने वाले मित्र हैं---B.n. Mishra,Ravi Shankar, Anil Pathak , Shakdwipiya Mahakumbh, Kamlesh Punyark Guruji, Uday Mishra evam Vinaya Ranjan, Shashi Ranjan Mishra pahale se sadasya hain
      कई लोगों ने लाइक भी किया 
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      12 hours ago · Like · 1
    • Ravindrakumar Pathak aap logon ko swayam blog par sankalan dekhanaa hogaa.
      12 hours ago · Like · 1
    • Ravindrakumar Pathak B.n. Mishra कल मैंने आपकी अपनी दोनों पोस्ट FB पे डाली विजिटर की संख्या देखते हुए लगता है चाचा यही हो संकलन blog पे आप की क्या राय है,??ं
      about an hour ago via mobile · Like
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    • Anil Pathak मेरे विचार से फेसबुक की अपेक्षा ब्लॉग ज्यादा महफूज है जहाँ खुलकर विचारों को रखा जा सकता है ..फेसबुक मात्र एक मनोरंजन से अधिक कुछ नही है ।
    • Ravindrakumar Pathak मैं ने शाबर मंत्र पोस्ट किया नहीं कि सबसे पहले मेरी भतीजी ने समझे, बिना समझे लाइक बटन दबा दिया। इसलिये तंत्र सबसे पहले मर्यादा की शर्त रखता है। समूह में होनेवाली चर्चा में उतनी उत्सुकता नहीं होती। शाबर मंत्र के अंदरूनी रहस्य क्या कोई बच्चा-बच्ची समझेगी? यह 18 साल में बालिग होने वाली कानूनी प्रौढ़ता से क्या हम सहमत हैं?
      आप लोग कैसे सवाल पूछेंगे, विचार व्यक्त करेंगे? अगर प्रश्न और विचार ही कुंठित रह गये तो चर्चा कैसे होगी? मेरा एक सुझाव है- यह चर्चा चूंकि केवल और केवल तथ्य परक होनी है अतः रोचकता, साहित्यिकता, वर्णन में सरसता सौंदर्य आदि की अपेक्षा न करें। विषय वस्तु ही ऐसा है कि सीधे स्पष्ट वर्णन के बाद भी रहस्य, रोमांच तथा अंत में अगाध शांति तथा तृप्ति देनेवाला होगा।



      • भाग नहीं सकते।

        भारतीय पदावली में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बीच परस्पर पूरक भाव विकसित करना तंत्र, एवं कर्मकांड का आदर्श है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मानिये कि कहीं न कहीं गड़बड़ है और उसे सुधारना होगा। तब इसके लिये उसे समझना भी होगा। भाग नहीं सकते। मुझे यह पदावली सुविधाजनक लगती है, आप दूसरी पदावली में भी बात रख सकते हैं।

        योग अकेला और तंत्र मंडली में, परिवार में, समाज में सरलता तथा सुरक्षा के साथ सधता है। बिना गुरु, साथी, मंडली और समर्थक के चर्चा का तंत्र ही खड़ा नहीं होगा। मूल व्यवस्था ही नहीं बनेगी? किसके साथ चर्चा? सभी गुरु, सभी साथी, सभी समर्थक तो चल सकता है पर सन्नाटे में नहीं। अतः चर्चा का ंतंत्र बनाने में सह-योग करें। चर्चा-तंत्र का प्रादुर्भाव स्वतः हो जायेगा। तब मैं या कोई भी अपने अनुभव के चमत्कार से इसे सरस बना सकेंगे। दो चार व्यवहार-आचरण संबंधी प्रश्नों का नारियल तो फोडि़ये, तब कमाल देखिये।
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        • Ravindrakumar Pathak फेसबुक के पेज बहुत तेजी से खिसकते हैं और लुप्त हो जाते हैं। अतः कृपया अपने बहुमूल्य सुझाव/विचार/प्रश्न ब्लाग पर जा कर टिप्पणी करें तो सबके लिये उन्हें पढ़ना और चर्चा करना आसान रहेगा। tantraparichaya.blogspot.com

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